24 October, 2016

असली दिवाली-स्वदेशी दिवाली

*असली दिवाली-स्वदेशी दिवाली*
Asli Diwali Swdeshi Diwali


कार्तिक अमावस की रात फिर आई है
झिलमिल रोशनी अपने संग में लाई है
जगमग हुआ संसार दीपमालाओं संग
देश भर में दिवाली की बँट रही मिठाई है 

पर इन खुशियों में भी,
ध्यान हमें ये रखना होगा
चीनी वस्तुओं को त्यागकर,
स्वाद स्वदेशी चखना होगा

स्वदेश में निर्मित वस्तु का ही,
आओ हम उपभोग करे
सस्ते चीनी सामानों का अब,
मिलकर दूर मनोरोग करे

भारत वर्ष की जनता जब मिल,
गीत स्वदेशी गायेगी
मिट्टी के दियों से जब फिर,
दिवाली की रोशनी छायेगी

गरीबों के चेहरों पर जिस दिन,
हँसी खुशी आ जायेगी
सही मायनों में तब ही तो,
असली दिवाली मन पायेगी

-हिमांशु भावसार
इंदौर (म.प्र.)

30 September, 2016

आतंकी को मारा हमने, अब अगली तैयारी है




कई दिनों से खबर चली थी, ये कैसी लाचारी है
सत्ता के हाथो में मोदी, ने क्यों चुप्पी धारी है

माह सितम्बर की थी उन्नीस, जब आतंकी आये थे
भारत की धरती पर फिर से, खूनी बादल छाये थे

पर देखो सेना ने फिर से, अपना जौहर दिखा दिया
आतंकी को आज अनोखा, अपना तेवर दिखा दिया

निंदा करने वाली देखो, अब ऐसी सरकार नहीं
बंदूको के मुंह न खोले, ये इतनी लाचार नहीं

सुन लो पाकिस्तानी चूजो, तेरा काम नहीं होगा
ख़ामोशी जो तोड़ी अबके, तेरा नाम नहीं होगा

ये है छप्पन इंची सीना, अब जमके गुर्राया है
पीओके में जाकर अब तो, देखो सबक सिखाया है

न समझो अभिमन्यु हमको, जो छल से मर जाता है
अर्जुन की शक्ति है हम में, व्यूह भेदना आता है

भारत की सेना दुश्मन पर, पड़ती अब तो भारी है
आतंकी को मारा हमने, अब अगली तैयारी है

-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)

20 September, 2016

कविता : सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं, देश नहीं झुकने दूंगा



सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं, देश नहीं झुकने दूंगा
देश नहीं झुकने दूंगा मै, देश नहीं रूकने दूंगा

पर अब हमको ये बातें तो, केवल जुमले लगते है
फूल कमल के अब तो सारे, केवल गमले लगते है

हमने जब सत्ता सौंपी थी, ये उम्मीद लगाई थी
तुमने भी भारत रक्षा की, आशा एक जगाई थी

कहाँ गये वो सारे वादे, ये कैसी लाचारी है
मन की बातों के आगे क्यों, दिखती अब गन भारी है

लव लेटर लिखने वाली भी, बात कही थी जब तुमने
अस्मिता की लाज बचानी, बात कही थी जब तुमने

जिस भाषा में दुश्मन समझे, वैसे ही समझा आओ
दो के बदले दस शीशों को, काट यहाँ पर तुम लाओ

पर अब तो छप्पन इंची का, सीना गायब दिखता है
दृश्य सामने दिखता है वो, 'हिंद' यहाँ पर लिखता है

हर आतंकी हमला होता तब, गीत रूदाली गाते हो
साडी के बदले में फिर तुम, बिरयानी दे आते हो

याद करो चाणक्य कहानी, बिखरे शिखा केशो को
संधि वंधि भूल भाल कर, फाडो अध्यादेशो को

बहुत हो चुका अब सेना को, सीमा पर बढ जाने दो
गद्दारों की छाती पर तुम, सेना को चढ जाने दो

गर इतना ना कर पाये तो, चुल्लू में डूब मर जाना
अगले आम चुनावों में फिर, वोट माँगने मत आना

-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)

गीत : मेक इन इंडिया वाला परचम, आ लहराओ भारत में

Make in India Modi


सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो, अब तो आओ भारत में
मेक इन इंडिया वाला परचम, आ लहराओ भारत में

ये है अपनी पावन धरती, कल कल गंगा बहती है
धानी चुनर ओढे धरती, और सम्पदा रहती है
खडा हिमालय मुकुट है जिसका, सागर पाँव पखारे है
मेक इन इंडिया लेकर भारत, आया द्वार तुम्हारे है
तुम्हें सुविधा सभी मिलेगी, आकर देखो भारत में
मेक इन इंडिया वाला परचम......

मेहनतकश है यहाँ की जनता, दुनिया को दिखलाना है
तकनीकों से आगे बढते, सबने ये भी माना है
यहाँ पर आओ यहीं बनाओ, यहीं से तुम निर्यात करो
उत्पादन की बढेगी क्षमता, ऐसी कोई बात करो
कलपुर्जो व्यापारों को तुम, अब तो लाओ भारत में
मेक इन इंडिया वाला परचम......

युवा जोश है युवा सोच है, युवा शक्ति देखो तो
पीएम मोदी जी की आकर, भारत भक्ति देखो तो
सारी दुनिया को हम माने, अपना ही परिवार यहाँ
वैज्ञानिकों ने भी पाया, हर बातों का सार यहाँ
मेक इन इंडिया मेक इन इंडिया, संग अब गाओ भारत में
मेक इन इंडिया वाला परचम......




Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिन्द'
इंदौर (म.प्र.)

+91-88270-89894

17 March, 2016

गीत : लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में

Holi Rang Panchmi Indore India


लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में
निकल पड़ी है सारी पलटन, अपनी अपनी टोली में

सुबह सवेरे से ही सारे, घर से बाहर आते है
फागुन वाले गीत अनोखे, ऊँचे सुर में गाते है
गली मोहल्ले में तो लगता, होली का हुड़दंग है
रंग गुलाल उड़ाते देखो, होते मस्त मलंग है
वो देखो दादाजी भी, दादी को रंग लगाते है
देख के उनको हँसते बच्चे, छड़ी दिखा भगाते है
देखो कैसा मज़ा है यारों, भांग की छोटी गोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में

काले पीले चेहरे लेकर, सबके सब हँसते जाते
लाल गुलाल मुंह लेकर, बन्दर रूप नज़र आते
वो देखो तो काले रंग में, लगता भूत समान है
तरह तरह के रंगों में रंग, समझे अपनी शान है
तरह तरह की आवाज़ें है, तरह तरह की बोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में

देवर भाभी का रिश्ता भी, होली के संग रंग जाता
सजनी को साजन का रंगना, मन ही मन में है भाता
प्रेम चढ़े परवान सदा ही, रंगों के त्यौहार में
तन बदन भीग जाता देखो, पानी की बौछार में
नववधू भी रंगना चाहे, हल्दी कुमकुम रोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में

ऊँच नीच का भेद मिटाता, रंगों का त्यौहार है
जीत यहाँ होती है सबकी, नहीं किसी की हार है
आओ होली की अग्नि में, सभी पाप जला डाले
नफ़रत कहीं नहीं रह पाये, प्रेम हृदय में बस पाले
कड़वी बातों को बिसराकर, मधुता लाये बोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

10 March, 2016

ग़ज़ल : तुम्हें प्यार करना है, आदत हमारी

Mohabbat gazal prem love


जहाँ से जुदा है, मुहब्बत हमारी
तुम्हें प्यार करना, है आदत हमारी ।१।

खुदा को न मानूं, न मूरत को पूजूं
तुम्ही बन गये हो, इबादत हमारी ।२।

न धर्मों रिवाजों, समाजो को मानूं
जमाना कहे ये, बगावत हमारी ।३।

मुहब्बत का मुल्जिम, तुम्हीं ने बनाया
तुम्हीं कर दो अब तो, जमानत हमारी ।४।

मुझे फिर नज़र से, नहीं तुम गिराना
कहीं मर न जाये, ये चाहत हमारी ।५।

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

08 March, 2016

गीत : बेटी की रक्षा करें, ये देवी का रूप होती है

बेटी की रक्षा करें, ये देवी का रूप होती है
इनका कोई पर्याय नहीं, ये अनमोल अनूप होती है
इन्हें मत मारो गर्भ में, और न ही शोषण करो
ये गर्मियों की छांव, और सर्दियों की धूप होती है

खेल कूद में आगे बढती, ये साईना नेहवाल है
रक्षा करने पर जब आती, ये झांसी की ढाल है
लता आशा श्रेया के रूप में, ये सुर की सरिता है
ये सुभद्रा कुमारी के छंद, महादेवी की कविता है

सुनीता है, कल्पना है, ये अंतरिक्ष से बातें करती
आईपीएस किरण बेदी भी, शत्रुओं से नहीं डरती
इंदिरा-प्रतिभा भी है ये, देश का ये सम्मान है
पन्ना धाय ने भी बेटे का, यहाँ दिया अनुदान है

कंधे से कंधा मिलाकर, हर पल ये आगे बढती है
दुराचार की घटनाओं से, आगे आकर लडती है
इन्हें मत मारो गर्भ में, और न ही शोषण करो
इनका कोई पर्याय नहीं, ये अनमोल अनूप होती है
ये गर्मियों की छांव, और सर्दियों की धूप होती है
ये देवियों का रूप होती है.......

Beti Bachao Women Day

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

02 March, 2016

ग़ज़ल : तुम्हारी प्रीत को अक्सर, ग़ज़ल में हम सजाते है

radif gazal prem love


तुम्हारी प्रीत को अक्सर, ग़ज़ल में हम सजाते है,
तुम्हारे प्यार के नगमें, भरी महफ़िल में गाते है ।१।

जमाने ने दिये लाखों, मगर मैं उफ्फ नहीं करता,
तुम्हारे होंठ मेरे जख्म पर मरहम लगाते है ।२।

रदीफ़े काफ़िया बहरे, तरन्नुम भी नहीं जानू,
फ़कत तुमको ही जानू मैं, तुम्हीं से रिश्ते नाते है ।३।

समंदर पार जाकर भी, कभी तन्हां न हो पाया,
तुम्हारी याद को बेशक, सदा दिल में ही पाते है ।४।

अभी इक याद की हिचकी, मुझे आई यहाँ यारों,
कहीं वो याद करती हो, चलो महफ़िल से जाते है ।५।


Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

26 February, 2016

हास्य घनाक्षरी : मेचिंग के हेलमेट

Helmet Safety Traffic Police Indore


कल मिला पडोसी से, मैने पुछा हाल चाल,
बोले एक समस्या का, हल तो बताईये

ट्राफिक पुलिस वाले, बना रहे है चालान,
हेलमेट पहन के, कह रहे आईये

मैने कहा हेलमेट, सर को सुरक्षा देता,
भाभीजी के लिये भी तो, हेलमेट लाईये

बोले समस्या यही तो, बीवी मुझे कह रही,
मेचिंग के सारे हेलमेट दिलवाईये

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

25 February, 2016

घनाक्षरी छंद : देश के लिये जनाब, जीना सीख लीजिये



ईराक ईरान और, सुनो पाक अफगान,
कहता है मक्का क्या मदीना सीख लीजिये

तिरंगे को फाडते हो, तुम काशमीर में क्यों,
गरीबों के कपडो को, सीना सीख लीजिये

नफरत फैलाते हो, जहर भी पिलाते हो,
दो दो घूंट प्रेम के तो, पीना सीख लीजिये

ज़ेहादी बने हुये हो, बम बाँधे क्यों खडे हो,
देश के लिये जनाब, जीना सीख लीजिये

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

11 February, 2016

डमरू घनाक्षरी : सहज सरल मन, मम तव बचपन



सहज सरल मन, मम तव बचपन
करत रहत जब, मन भर हरकत

इधर उधर जब, भटक भटक कर
गरज बरस कर, घर पर फटकत

सनन सनन सन, घनन घनन घन,
बहक बहक मन, इत उत भटकत

करत मनन जब, लडक लड़कपन
नयन भरत जल, टप टप टपकत

-हिमांशु भावसार

10 February, 2016

गीत : प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं, साँस दे जाओ फिर से महक जायेगी



प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं
साँस दे जाओ फिर से महक जायेगी,
इक चिडिया यहाँ मन में चुपचाप है
गीत दे जाओ फिर से चहक जायेगी
प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं...

||१||
आज भी याद है अपना पहला मिलन
शर्म से वो पलक को झुकाना तेरा,
होंठ चुपचाप थे धडकने तेज थी
फिर इशारों में मुझको बुलाना तेरा,

सुर्ख अधरो को जब इन लबों ने छुआ
शहद वाली सुराही छलक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........

||२||
रश्मियाँ सूर्य की, चाँद की ज्योत्स्ना
रूप यौवन को तेरे सजाती रही
लाल जोडे में जब, तू बनी थी दुल्हन
शर्म भी देख तुझको लजाती रही

तेरी डोली उठी, देखता मैं रहा
तेरे संग में तेरी हर झलक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........

||३||
हो गया है समय दो दिलो को मिले
प्रेम की इक अनोखी कहानी रही,
झुर्रियाँ आ गई हो भले ही मगर
आज भी दिल में पलती जवानी रही,

सुप्त अंगार अब भी मेरे दिल में है
दो हवा आग फिर से दहक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........

||४||
यात्रा पर चले, प्राण अंतिम डगर
तेरी यादें भी संग में मेरे जायेगी
स्वर्ग से अब मुझे, लेने आये है वो
तू नहीं आई है, तू नहीं आयेगी

एक निवेदन करूं, अब न आना यहाँ
मौत भी राह से फिर बहक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........


प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं
साँस दे जाओ फिर से महक जायेगी,
इक चिडिया यहाँ मन में चुपचाप है
गीत दे जाओ फिर से चहक जायेगी


Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'

झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

02 February, 2016

कविता : वैलेंटाइन डे स्पेशल

Valentine Day Indore India
आज की युवा पीढ़ी देखो, करती कैसी नादानी
इक ही दिन का प्यार जताकर, बनती फिरती दीवानी
काश के उनको कोई भी ये, बात अगर समझा पाता
छोड़ हनी सिंह को फिर देखो, गीत भगतसिंह के गाता

मैं नहीं रोकूँगा तुमको, यारों खुलकर प्यार करो
प्यार करो पर तुम कुछ ऐसा, सबका तुम उद्धार करो
मात पिता भाई बहनों के, सपनों को साकार करो
कोई नज़र उठने न पाये, दुश्मन पे तुम वार करो

राष्ट्रयज्ञ की बलिवेदी भी, देख तुम्हे गर्वायेगी
कोने कोने से फिर जनता, गीत तुम्हारे गायेगी

 

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'

झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)

+91-88270-89894

22 January, 2016

जलहरण-घनाक्षरी : देश पे उठेगी वह, आँख फोड़ देंगे हम

jalharan ghanakshari kavi indore


जलहरण-घनाक्षरी
(८-८-८-८ अंत लघु-लघु)

शोणित शिराओं में हैं, बल अब बाहों में हैं,
फिर तोपों का भी अब, मुख मोड़ देंगे हम.

गर पाक सीमा पार, शत्रु भेजे लगातार,
भ्रम उसका भी फिर, अब तोड़ देंगे हम.

चार फुटिये चीनी भी, दिखा रहे दम ख़म,
कैसे फिर उसको भी, यूं ही छोड़ देंगे हम.

गर आया अमरीका, उसे फिर देंगे दिखा,
देश पे उठेगी वह, आँख फोड़ देंगे हम ।।

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

12 January, 2016

ग़ज़ल : कभी मेरे ग़ज़ल गीतों ने, जिसको गुनगुनाया है

love break up indore


ज़रा देखो फ़िज़ाओं ने, हसीं फिर राग गाया है
बहारों का जवां मौसम, किसी की याद लाया है।१।

मुझे ये भी पता है वो, नहीं अब आ नहीं सकता,
कभी मेरे ग़ज़ल गीतों ने, जिसको गुनगुनाया है।२।

फ़क़त यादें रही बाकी, मगर वो प्यार अब भी है
मुझे बस ये शिकायत है, कि मुझको आज़माया है।३।

मुहब्बत की निशानी को, कहाँ ढूंढूं बताओ तुम,
कि उसकी याद बाकी है, जिसे दिल में बसाया है।४।

कहाँ से आ गया देखो, मुझे सपना सा लगता है,
दिलों का खेल फिर देखो, मुझे फिर से खिलाया है।५।

नया फिर रूप लेकर 'हिन्द', यहाँ पर आ गया शायद,
बढ़ाने को कहानी फिर, नया किरदार आया है।६।


Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'

झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

04 January, 2016

कविता : अच्छे दिन अब आएंगे


Narendra Modi Achche Din

काश कि जनता भूखी प्यासी, और नहीं रहने पाये
सत्ता भी लोभी की दासी, और नहीं रहने पाये
काश गरीबों और नंगों के, कपडे फिर से सिल जाये
काश किसानों के मुरझायें, चेहरे फिर से खिल जाये

काश पेट में कोई बेटी, और नहीं मरने पाये
दहेज़ की खातिर कोई बेटी, और नहीं जलने पाये
जात-पात मज़हब के झगडे, और नहीं होने पाये
काश कराची की छाती पर, अमर तिरंगा लहराये

जिस दिन घाटी में मिलकर सब, वन्दे मातरम् गाएंगे
उस दिन सबसे मैं कह दूंगा, अच्छे दिन अब आएंगे
उस दिन सबसे मैं कह दूंगा, अच्छे दिन अब आएंगे

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
ओज कवि (राष्ट्र चिंतन)
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

Narendra Modi Achche Din