बेटी की रक्षा करें, ये देवी का रूप होती है
इनका कोई पर्याय नहीं, ये अनमोल अनूप होती है
इन्हें मत मारो गर्भ में, और न ही शोषण करो
ये गर्मियों की छांव, और सर्दियों की धूप होती है
खेल कूद में आगे बढती, ये साईना नेहवाल है
रक्षा करने पर जब आती, ये झांसी की ढाल है
लता आशा श्रेया के रूप में, ये सुर की सरिता है
ये सुभद्रा कुमारी के छंद, महादेवी की कविता है
सुनीता है, कल्पना है, ये अंतरिक्ष से बातें करती
आईपीएस किरण बेदी भी, शत्रुओं से नहीं डरती
इंदिरा-प्रतिभा भी है ये, देश का ये सम्मान है
पन्ना धाय ने भी बेटे का, यहाँ दिया अनुदान है
कंधे से कंधा मिलाकर, हर पल ये आगे बढती है
दुराचार की घटनाओं से, आगे आकर लडती है
इन्हें मत मारो गर्भ में, और न ही शोषण करो
इनका कोई पर्याय नहीं, ये अनमोल अनूप होती है
ये गर्मियों की छांव, और सर्दियों की धूप होती है
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