02 March, 2016

ग़ज़ल : तुम्हारी प्रीत को अक्सर, ग़ज़ल में हम सजाते है

radif gazal prem love


तुम्हारी प्रीत को अक्सर, ग़ज़ल में हम सजाते है,
तुम्हारे प्यार के नगमें, भरी महफ़िल में गाते है ।१।

जमाने ने दिये लाखों, मगर मैं उफ्फ नहीं करता,
तुम्हारे होंठ मेरे जख्म पर मरहम लगाते है ।२।

रदीफ़े काफ़िया बहरे, तरन्नुम भी नहीं जानू,
फ़कत तुमको ही जानू मैं, तुम्हीं से रिश्ते नाते है ।३।

समंदर पार जाकर भी, कभी तन्हां न हो पाया,
तुम्हारी याद को बेशक, सदा दिल में ही पाते है ।४।

अभी इक याद की हिचकी, मुझे आई यहाँ यारों,
कहीं वो याद करती हो, चलो महफ़िल से जाते है ।५।


Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

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