*असली दिवाली-स्वदेशी दिवाली*
कार्तिक अमावस की रात फिर आई है
झिलमिल रोशनी अपने संग में लाई है
जगमग हुआ संसार दीपमालाओं संग
देश भर में दिवाली की बँट रही मिठाई है
पर इन खुशियों में भी,
ध्यान हमें ये रखना होगा
चीनी वस्तुओं को त्यागकर,
स्वाद स्वदेशी चखना होगा
स्वदेश में निर्मित वस्तु का ही,
आओ हम उपभोग करे
सस्ते चीनी सामानों का अब,
मिलकर दूर मनोरोग करे
भारत वर्ष की जनता जब मिल,
गीत स्वदेशी गायेगी
मिट्टी के दियों से जब फिर,
दिवाली की रोशनी छायेगी
गरीबों के चेहरों पर जिस दिन,
हँसी खुशी आ जायेगी
सही मायनों में तब ही तो,
असली दिवाली मन पायेगी
-हिमांशु भावसार
इंदौर (म.प्र.)
No comments:
Post a Comment