लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में
निकल पड़ी है सारी पलटन, अपनी अपनी टोली में
सुबह सवेरे से ही सारे, घर से बाहर आते है
फागुन वाले गीत अनोखे, ऊँचे सुर में गाते है
गली मोहल्ले में तो लगता, होली का हुड़दंग है
रंग गुलाल उड़ाते देखो, होते मस्त मलंग है
वो देखो दादाजी भी, दादी को रंग लगाते है
देख के उनको हँसते बच्चे, छड़ी दिखा भगाते है
देखो कैसा मज़ा है यारों, भांग की छोटी गोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में
काले पीले चेहरे लेकर, सबके सब हँसते जाते
लाल गुलाल मुंह लेकर, बन्दर रूप नज़र आते
वो देखो तो काले रंग में, लगता भूत समान है
तरह तरह के रंगों में रंग, समझे अपनी शान है
तरह तरह की आवाज़ें है, तरह तरह की बोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में
देवर भाभी का रिश्ता भी, होली के संग रंग जाता
सजनी को साजन का रंगना, मन ही मन में है भाता
प्रेम चढ़े परवान सदा ही, रंगों के त्यौहार में
तन बदन भीग जाता देखो, पानी की बौछार में
नववधू भी रंगना चाहे, हल्दी कुमकुम रोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में
ऊँच नीच का भेद मिटाता, रंगों का त्यौहार है
जीत यहाँ होती है सबकी, नहीं किसी की हार है
आओ होली की अग्नि में, सभी पाप जला डाले
नफ़रत कहीं नहीं रह पाये, प्रेम हृदय में बस पाले
कड़वी बातों को बिसराकर, मधुता लाये बोली में
लाल हरे नीले पीले सब, रंग बसे है होली में
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