ईराक ईरान और, सुनो पाक अफगान,
कहता है मक्का क्या मदीना सीख लीजिये
तिरंगे को फाडते हो, तुम काशमीर में क्यों,
गरीबों के कपडो को, सीना सीख लीजिये
नफरत फैलाते हो, जहर भी पिलाते हो,
दो दो घूंट प्रेम के तो, पीना सीख लीजिये
ज़ेहादी बने हुये हो, बम बाँधे क्यों खडे हो,
देश के लिये जनाब, जीना सीख लीजिये
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