10 February, 2016

गीत : प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं, साँस दे जाओ फिर से महक जायेगी



प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं
साँस दे जाओ फिर से महक जायेगी,
इक चिडिया यहाँ मन में चुपचाप है
गीत दे जाओ फिर से चहक जायेगी
प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं...

||१||
आज भी याद है अपना पहला मिलन
शर्म से वो पलक को झुकाना तेरा,
होंठ चुपचाप थे धडकने तेज थी
फिर इशारों में मुझको बुलाना तेरा,

सुर्ख अधरो को जब इन लबों ने छुआ
शहद वाली सुराही छलक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........

||२||
रश्मियाँ सूर्य की, चाँद की ज्योत्स्ना
रूप यौवन को तेरे सजाती रही
लाल जोडे में जब, तू बनी थी दुल्हन
शर्म भी देख तुझको लजाती रही

तेरी डोली उठी, देखता मैं रहा
तेरे संग में तेरी हर झलक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........

||३||
हो गया है समय दो दिलो को मिले
प्रेम की इक अनोखी कहानी रही,
झुर्रियाँ आ गई हो भले ही मगर
आज भी दिल में पलती जवानी रही,

सुप्त अंगार अब भी मेरे दिल में है
दो हवा आग फिर से दहक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........

||४||
यात्रा पर चले, प्राण अंतिम डगर
तेरी यादें भी संग में मेरे जायेगी
स्वर्ग से अब मुझे, लेने आये है वो
तू नहीं आई है, तू नहीं आयेगी

एक निवेदन करूं, अब न आना यहाँ
मौत भी राह से फिर बहक जायेगी
इक चिडिया यहाँ...........
गीत दे जाओ फिर..........


प्रीत की पंखुडी अब महकती नहीं
साँस दे जाओ फिर से महक जायेगी,
इक चिडिया यहाँ मन में चुपचाप है
गीत दे जाओ फिर से चहक जायेगी


Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'

झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

No comments:

Post a Comment