11 February, 2016

डमरू घनाक्षरी : सहज सरल मन, मम तव बचपन



सहज सरल मन, मम तव बचपन
करत रहत जब, मन भर हरकत

इधर उधर जब, भटक भटक कर
गरज बरस कर, घर पर फटकत

सनन सनन सन, घनन घनन घन,
बहक बहक मन, इत उत भटकत

करत मनन जब, लडक लड़कपन
नयन भरत जल, टप टप टपकत

-हिमांशु भावसार

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