मातृ शक्ति को नमन करते हुए बेटियों पर एक छंद निवेदित करता हूं
बेटियों को कोख में तो, ऐसे न मिटाईये
घरो को संभालती है, उसको सँवारती है,
बगिया की कलियॉं है, इनको सजाईये
गर डरते हो सोच, भेडिये खायेंगे नोच,
भीत भरी भावना को, मन से भगाईये
कर सके आत्मरक्षा, दे दो उन्हें शस्त्र शिक्षा,
झॉंसी वाली रानी जैसी, वीरता सिखाईये
रचनाकार: हिमांशु भावसार 'हिन्द'
इंदौर (म.प्र.)
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