03 August, 2015

ग़ज़ल : यहाँ परदेस में अक्सर, मुझे माँ याद आती है

रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द' (इंदौर)


Gazal Maa Holi Diwali City Shehar Himanshu Bhawsar Hind Indore


शहर की रोशनी में अब, फ़क़त यादें रुलाती है
पुरानी याद के साये, तले आसूँ बहाती है ।१।
वहाँ होली मनाते तो, दिलों की दूरियां मिटती,
यहाँ पर ज़िंदगी हर दिन, नयी दूरी बनाती है ।२।

दिवाली पर वहां दीपक, यहाँ पर मोमबत्ती है,
वहां ग़म को जलाते थे, यहाँ बस्ती जलाती है ।३।

किसी के ब्याह में होता, वहां पर नाचना गाना,
यहाँ दुनियाँ मुझे अपने, इशारों पर नचाती है ।४।

खिलौने से कभी खेला, कहाँ पर खो गया बचपन,
यहाँ हर रोज़ दुनियाँ खेल ये कैसा खिलाती है ।५।

कभी जब देखता हूँ मैं, कहीं रोता हुआ बच्चा,
यहाँ परदेस में अक्सर, मुझे माँ याद आती है ।६।

सदा माँ बाप के चरणों, तले ही स्वर्ग है मिलता,
यहाँ इस 'हिन्द' की रचना, यहीं बस गीत गाती है ।७।

रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द'

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