लिखने को दोहे अभी, मैं भी हुआ अधीर ।
भारत की गाथा लिखूं, बढती जाये पीर ।।
गॉंधी नेहरु लिख गये, कैसी ये तकदीर ।
जो देखूं इतिहास को, बढती जाये पीर ।।
कभी हुए आजाद से, भगतसिंह से वीर ।
आज हनी सिंह छा गया, बढती जाये पीर ।।
देख सको तो देख लो, भारत की तस्वीर ।
कहता है ये 'हिन्द' यहॉं, बढती जाये पीर ।।
हिमांशु भावसार 'हिन्द'
इंदौर (म.प्र.)
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