15 September, 2015

ग़ज़ल : किसानों ने हमेशा ही, हमारा पेट पाला है

रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द'


Jay Jawan Jay Kisan Himanshu Bhawsar


ज़मीं को चीर कर देखों, दिया हमको निवाला है,
किसानों ने हमेशा ही, हमारा पेट पाला है ।१।

हमारा पेट भरने को, सुबह से खेत पर जाता, 
अँधेरों में रहे वह तो, हमारे घर उजाला है ।२।

ठिठुरती ठंड हो चाहे, भले तपती दुपहरी हो,
भरी बारिश में भी उसने, धरा में बीज डाला है ।३।

लगाया जय जवानों जय किसानों का ही नारा था,
वहाँ दुश्मन भगाये तो, यहाँ जीवन को ढाला है ।४।

सिपाही ने बचाई देश की सीमा नमन उनको, 
किसानों ने अनाजों से, यहाँ हमको संभाला है ।५।

नहीं दिखता मुझे कोई, किसे ये 'हिन्द' बतलाये,
जवानी से बुढापा खेत में उसने निकाला है ।६।

हिमांशु भावसार 'हिन्द'
इंदौर (म.प्र.)

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