01 September, 2015

छंद-कविता : भारत माँ के नेत्र सजल हैं, कैसे मैं श्रृंगार लिखूं

रचनाकार : हिमांशु भावसार "हिन्द"

Kavita India Bharat Himanshu Bhawsar

मैं भी लिख सकता था तुम पर, प्रेम प्रणय के गीतों को,
मैं भी लिख सकता था भर लूँ,  बारिशों के छींटों को,
मैं भी लिख सकता था पी संग, गुजरी उन सब रातों को,
मैं भी लिख सकता था वो सब, बासंती जज़्बातों को,

मैंने भी चाहा था लिखना, प्रेम प्रीति की बातों को,
मैंने भी चाहा था लिखना, उन सब रिश्ते नातों को,

पर मैं भारत का बेटा हूँ, कैसे आँखें मूँदूँ मैं,
देश जले जब मेरा तो, श्रृंगार कहाँ से ढूँढूँ मैं,

देश में फ़ैली हैं जब नफ़रत, कैसे तुझ संग प्यार लिखूं,
भारत माँ के नेत्र सजल हैं, कैसे मैं श्रृंगार लिखूं 

रचनाकार : हिमांशु भावसार "हिन्द"

इंदौर (म. प्र.)

2 comments:

  1. देश में फ़ैली हैं जब नफ़रत,
    कैसे तुझ संग प्यार लिखूं....

    बहुत ही सुन्दर रचना हिमांशु भाई जी

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार संजय भाई :)

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