रचनाकार : हिमांशु भावसार "हिन्द"
मैं भी लिख सकता था तुम पर, प्रेम प्रणय के गीतों को,
मैं भी लिख सकता था भर लूँ, बारिशों के छींटों को,
मैं भी लिख सकता था पी संग, गुजरी उन सब रातों को,
मैं भी लिख सकता था वो सब, बासंती जज़्बातों को,
मैंने भी चाहा था लिखना, प्रेम प्रीति की बातों को,
मैंने भी चाहा था लिखना, उन सब रिश्ते नातों को,
पर मैं भारत का बेटा हूँ, कैसे आँखें मूँदूँ मैं,
देश जले जब मेरा तो, श्रृंगार कहाँ से ढूँढूँ मैं,
देश में फ़ैली हैं जब नफ़रत, कैसे तुझ संग प्यार लिखूं,
भारत माँ के नेत्र सजल हैं, कैसे मैं श्रृंगार लिखूं
देश में फ़ैली हैं जब नफ़रत,
ReplyDeleteकैसे तुझ संग प्यार लिखूं....
बहुत ही सुन्दर रचना हिमांशु भाई जी
बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार संजय भाई :)
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