11 September, 2015

छंद : भोले जी जो रुष्ट हुए, डोल गई धरती

छंद : भोले जी जो रुष्ट हुए, डोल गई धरती


Bholenath Tandav Himanshu Bharat Mata Neta


नेताजी मचान पर, तीर था कमान पर,
        मानवता तिल तिल, देखो कैसे मरती,
एक की तो मौत से भी, देखो पेट नहीं भरा,
        नर्मदा की आँखे अब, झर झर झरती,

देखो कैसी राजनीति, कर रहे नेतागण,
        देखो भारत माता भी, रुदन है करती

एक दिन में ही देखो, सबक है मिल गया
        भोले जी जो रुष्ट हुए, डोल गई धरती।

रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द' | इंदौर

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