मैं नेताओं पर नहीं लिखता
लोग पूछते है मुझसे,
मैं नेताओं पर क्यों नहीं लिखता,
मैं बस इसलिये नहीं लिखता,
क्यूंकि,
मेरा ज़मीर चंद कागज के टुकडों में नहीं बिकता
मेरा ज़मीर चंद कागज के टुकडों में नहीं बिकता
क्या लिखूं मैं इन भ्रष्ट नेताओं पर,
जिन्हें भारत माता का दुखों में डूबा हुआ चेहरा नहीं दिखता
आज देश में हिंदू और मुसलमान एक दूसरे को काट रहे है
और ये भ्रष्ट नेता सेंक रहे वोटों की रोटियाँ, और आपस में बाँट रहे है
देशभक्ति की बातें करने वालों को ये लोग डाँट रहे है
दिल्ली जाकर कुर्सी के तलवे चाँट रहे है
बात चली जब नेताओं की, तो ये दिल दुखों से भर आता है
और आँसूं भरी आँखों के सामने बस एक ही नाम नजर आता है
कि नेता तो था वो वीर सुभाष,
जिसने कहा मैं और न कुछ लूंगा
तुम बस मुझे खून दो,
मैं तुम्हे.........
और आज देश में कोई भी नेता,
मुझे वीर सुभाष जैसा नहीं दिखता,
मुझे वीर सुभाष जैसा नहीं दिखता,
बस यही एक कारण है, कि
मैं नेताओं पर नहीं लिखता
मैं नेताओं पर नहीं लिखता
हिमांशु भावसार 'हिन्द'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)