09 December, 2015

घनाक्षरी | देश मेरा देखो किस राह पे चला गया

Ram Rahim Hind Desh Bharat


एक युग ऐसा भी था, मंदिर में रहीम था,
और वहीं राम ईद-गाह पे चला गया

बंटा मेरा देश फिर, बने नेहरू वजीर,
गाँधी जिन्ना वाले शहंशाह पे चला गया

फिर नहीं दिन फिरे, नेताओं से हम घिरे,
लाव लशकर वाली चाह पे चला गया

लालच में फंसकर, गर्त में ही धँसकर,
देश मेरा देखो किस राह पे चला गया


-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

2 comments: