29 December, 2015

गीत : नया साल-नये संकल्प

Happy New Year 2016

 **** नया साल-नये संकल्प ****


एक बरस फिर से बीता है, नया बरस अब आयेगा
हम सबकी जीवन बगिया में, खुशियाँ भर के लायेगा
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आओं मिलकर हम प्रण कर लें, नये साल के स्वागत पर,
महंगाई पर कसे शिकंजा, बढी हुई हर लागत पर,
बच्चे भूखे रह न पाये, नारी को सम्मान मिले,
खुशियाँ सदा सदा ही बरसे, हर घर में धन धान मिले,
अंधियारा छँट जायेगा अब, उजियारा भी छायेगा,
नया बरस जीवन बगिया में, खुशियाँ भर के लायेगा,
एक बरस फिर से बीता है........
हम सबकी जीवन बगिया में.......
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दहेज की खातिर कोई भी, बेटी अब मरने न पाये,
चौराहों पर नंगा भूखा, कोई रहने न पाये,
जात पात मजहब के झगडे, कहीं नहीं अब खून बहे,
गौ हत्यारों को फाँसी हो, ऐसा भी कानून रहे,
हिंदू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई, जय जयकार लगायेगा,
नया बरस जीवन बगिया में, खुशियाँ भर के लायेगा,
एक बरस फिर से बीता है........
हम सबकी जीवन बगिया में.......
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स्वस्थ रहे हम, स्वच्छ रहे सब, स्वच्छ हमारा देश रहे,
हरा भरा माहौल रहे अब, हरा भरा परिवेश रहे,
पॉलीथिन की थैली को भी, हम समाज से दूर करे,
दुनिया भर में चमकेगा फिर, देश को कोहिनूर करे,
डिजिटल इंडिया मेक इन इंडिया, प्रगति लेकर आयेगा,
नया बरस जीवन बगिया में, खुशियाँ भर के लायेगा,
एक बरस फिर से बीता है........
हम सबकी जीवन बगिया में.......
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Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
ओज कवि (राष्ट्र चिंतन)
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

Happy New Year 2016

23 December, 2015

हास्य कविता: मज़ा ले लो ठण्ड का

India Winter Cold Sardi

ठण्ड तो महज़ एक बहाना है,
बात ये है कि हमें नहीं नहाना है,

अपनी पीड़ा दुसरो को क्यों सौंपते हो
खुद की कमज़ोरी ठण्ड पे क्यों थोपते हो,

भला मानो ठण्ड का जो इतनी पड़ रही
वर्ना आठ महीने से रजाई पड़ी पड़ी सड़ रही,

कहाँ मिलेगा मज़ा रजाई में सोने का
पानी को दूर से ही देख मुंह धोने का,

गर ठण्ड न होती तो अभी बादल बरसते
या गर्मी में हम तुम सब तपते ही तपते,

इसलिए कहता हूँ मज़ा ले लो ठण्ड का
ज्ञान दे रहा हूँ सबको मैं ये फ्री फण्ड का


Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

21 December, 2015

ग़ज़ल : भारती का भाल झुकता, हम यहां क्या कर रहे



Hind Bharat Bhagat India


पंख से केवल परिंदा, दूर तक उडता नहीं
हौंसला भी चाहिये फिर, वो कभी रूकता नहीं ।१।

आज आओ हम करे प्रण, चल पडे उस राह पर,
क्रांतिकारी राह कोई, क्यों भला चुनता नहीं ।२।

भारती का भाल झुकता, हम यहां क्या कर रहे,
क्यों भगत सा वीर अब तो, देश ये जन'ता नहीं ।३।

जब तलक गद्दार नेता, राज करते ही रहे,
दे रहा इतिहास ताने, भूल वो सकता नहीं ।४।

'हिन्द' की सुन लो कही ये, फिर नहीं दोहरायेगा,
बात करने भर से ही तो, हल निकल सकता नहीं ।५।

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

17 December, 2015

ग़ज़ल : इसलिये ही नाम तेरा, गुनगुनाना हो गया

Love Gazal Ishq Ghazal


आपकी आवाज़ सुनके, इक ज़माना हो गया
जिंदगी का देख मकसद, गीत गाना हो गया ।१।

प्यार की बातें करी थी, आज भी वो याद है,
तीर जो नजरों से छोडा, मैं निशाना हो गया ।२।

गीत जो गाये कभी थे, याद अब भी है मुझे,
आपकी आवाज सुनकर, ही दिवाना हो गया ।३।

सांस ने ये शर्त रख दी, जिंदगी जीना है गर,
इसलिये ही नाम तेरा, गुनगुनाना हो गया ।४।

कौन देता है दुआयें, हम नहीं ये जानते,
आजकल लोगो का मकसद, धन कमाना हो गया ।५।

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

09 December, 2015

घनाक्षरी | देश मेरा देखो किस राह पे चला गया

Ram Rahim Hind Desh Bharat


एक युग ऐसा भी था, मंदिर में रहीम था,
और वहीं राम ईद-गाह पे चला गया

बंटा मेरा देश फिर, बने नेहरू वजीर,
गाँधी जिन्ना वाले शहंशाह पे चला गया

फिर नहीं दिन फिरे, नेताओं से हम घिरे,
लाव लशकर वाली चाह पे चला गया

लालच में फंसकर, गर्त में ही धँसकर,
देश मेरा देखो किस राह पे चला गया


-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

04 December, 2015

हिंदी हिंदू हिंदुस्तान । घनाक्षरी


Hindi Hindu Hindustan Hind

हिंदी मेरी आन है जी, हिंदी मेरी शान है जी,
        हिंदी से ही तो ये मेरी, कविता में जान हैं

हिंदू हूं मैं जात का भी, ज्ञान इस बात का भी,
        हिंदू ही तो सदा मेरा, धरम ईमान है

हिंदुस्तान मेरी जान, सारी दुनिया की शान,
        सभी धर्म जात भाषा, यहाँ तो समान हैं

सब मिल भरो तान, राष्ट्रगीत राष्ट्रगान,
        हिंदी हिंदू हिंदुस्तान, जगत की शान हैं

-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894