रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द' (इंदौर)
आरक्षण आरक्षण आरक्षण
शोर मचा रहा है धरती का कण कण
कितने ही दिखे विरोध में यहाँ
कितनो ने जताई सहमति
चंद वोटों की खातिर नेताओं ने
दी आरक्षण को अनुमति
हाँ, मैं भी चाहता हूँ आरक्षण हो
जिसमें नहीं गरीबों का भक्षण हो
किसानों को मिले सभी सुविधा
बेटियों का हर वक़्त यहाँ पर रक्षण हो
सभी को मिले समानता का अधिकार,
किसी धर्म का न हो यहाँ पर प्रतिकार,
कन्याएं न मारी जाएं भ्रूण में कभी
सशक्त कानून बन जाएं अभी के अभी
पिता पति भाई हर आदमी में रक्षा का लक्षण हो
मैं चाहता हूँ, कि देश में ऐसा आरक्षण हो।
रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द' (इंदौर)
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