27 July, 2015

कविता : आरक्षण

रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द' (इंदौर)

aarakshan hatao India Hind

आरक्षण आरक्षण आरक्षण
शोर मचा रहा है धरती का कण कण

कितने ही दिखे विरोध में यहाँ
कितनो ने जताई सहमति
चंद वोटों की खातिर नेताओं ने
दी आरक्षण को अनुमति

हाँ, मैं भी चाहता हूँ आरक्षण हो
जिसमें नहीं गरीबों का भक्षण हो
किसानों को मिले सभी सुविधा
बेटियों का हर वक़्त यहाँ पर रक्षण हो

सभी को मिले समानता का अधिकार,
किसी धर्म का न हो यहाँ पर प्रतिकार,
कन्याएं न मारी जाएं भ्रूण में कभी 
सशक्त कानून बन जाएं अभी के अभी

पिता पति भाई हर आदमी में रक्षा का लक्षण हो
मैं चाहता हूँ, कि देश में ऐसा आरक्षण हो।

रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द' (इंदौर)

1 comment: