25 July, 2015

छंद : कहॉं छुप जाती खादी, बादलों की ऋतु में


रचनाकार : हिमांशु भावसार 'हिन्द'


जब कभी बाढ़ आती, सदा सेना आगे आती
कहॉं छुप जाती खादी, बादलों की ऋतु में

बारिश में कागज़ की, नाव देखों चल पडी,
कहानी सुनाये दादी, बादलों की ऋतु में

सावन की रूत आई, प्रीत गीत संग लाई,
खुश सारी है आबादी, बादलों की ऋतु में

चारों ओर हरियाली, छाई जैसे खुशहाली,
बदली लगे है वादी, बादलों की ऋतु में

हिमांशु भावसार "हिन्द"

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