रचनाकार: हिमांशु भावसार 'हिन्द' (इंदौर)
हवस की राह चलते है, मुहब्बत कौन करता है,
फरेबी ज़िन्दगी में आज चाहत कौन करता है।१।
गरीबों के नसीबों में, मयस्सर भी नहीं रोटी,
कभी दिल्ली बताये राज़ दावत कौन करता है।२।
यहाँ फैला रहे है वे, ज़रा सी बात पर दंगे,
ज़रा मुझको बताओ तो, बगावत कौन करता है।३।
अगर संघी नहीं मारे, नहीं कहती कुराने भी,
बताओ गाय माता से, अदावत कौन करता है।४।
नमाज़ी ने कहा यह तो, पुजारी भी यही बोला,
दिलो को हारकर रब की, इबादत कौन करता है।५।
जहां में 'हिन्द' ढूंढा है, नहीं मिलती कचहरी भी,
गरीबों की यहाँ अब तो, वक़ालत कौन करता है।६।
*अदावत: बैर
Bahut khoob :)
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई
Deletewaah shandaar
ReplyDeleteहृदयतल से धन्यवाद विकास भाई :)
DeleteThanks
ReplyDelete