22 January, 2016

जलहरण-घनाक्षरी : देश पे उठेगी वह, आँख फोड़ देंगे हम

jalharan ghanakshari kavi indore


जलहरण-घनाक्षरी
(८-८-८-८ अंत लघु-लघु)

शोणित शिराओं में हैं, बल अब बाहों में हैं,
फिर तोपों का भी अब, मुख मोड़ देंगे हम.

गर पाक सीमा पार, शत्रु भेजे लगातार,
भ्रम उसका भी फिर, अब तोड़ देंगे हम.

चार फुटिये चीनी भी, दिखा रहे दम ख़म,
कैसे फिर उसको भी, यूं ही छोड़ देंगे हम.

गर आया अमरीका, उसे फिर देंगे दिखा,
देश पे उठेगी वह, आँख फोड़ देंगे हम ।।

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

12 January, 2016

ग़ज़ल : कभी मेरे ग़ज़ल गीतों ने, जिसको गुनगुनाया है

love break up indore


ज़रा देखो फ़िज़ाओं ने, हसीं फिर राग गाया है
बहारों का जवां मौसम, किसी की याद लाया है।१।

मुझे ये भी पता है वो, नहीं अब आ नहीं सकता,
कभी मेरे ग़ज़ल गीतों ने, जिसको गुनगुनाया है।२।

फ़क़त यादें रही बाकी, मगर वो प्यार अब भी है
मुझे बस ये शिकायत है, कि मुझको आज़माया है।३।

मुहब्बत की निशानी को, कहाँ ढूंढूं बताओ तुम,
कि उसकी याद बाकी है, जिसे दिल में बसाया है।४।

कहाँ से आ गया देखो, मुझे सपना सा लगता है,
दिलों का खेल फिर देखो, मुझे फिर से खिलाया है।५।

नया फिर रूप लेकर 'हिन्द', यहाँ पर आ गया शायद,
बढ़ाने को कहानी फिर, नया किरदार आया है।६।


Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'

झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

04 January, 2016

कविता : अच्छे दिन अब आएंगे


Narendra Modi Achche Din

काश कि जनता भूखी प्यासी, और नहीं रहने पाये
सत्ता भी लोभी की दासी, और नहीं रहने पाये
काश गरीबों और नंगों के, कपडे फिर से सिल जाये
काश किसानों के मुरझायें, चेहरे फिर से खिल जाये

काश पेट में कोई बेटी, और नहीं मरने पाये
दहेज़ की खातिर कोई बेटी, और नहीं जलने पाये
जात-पात मज़हब के झगडे, और नहीं होने पाये
काश कराची की छाती पर, अमर तिरंगा लहराये

जिस दिन घाटी में मिलकर सब, वन्दे मातरम् गाएंगे
उस दिन सबसे मैं कह दूंगा, अच्छे दिन अब आएंगे
उस दिन सबसे मैं कह दूंगा, अच्छे दिन अब आएंगे

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
ओज कवि (राष्ट्र चिंतन)
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

Narendra Modi Achche Din