एक सवाल…
हवस भरी निगाहें चहुंओर, इससे भी बड़ा अपमान कहाँ हैं,
सीता सावित्री की भूमि पर, नारियों का सम्मान कहाँ हैं,
द्रौपदी की इज्ज़त तो, फिर भी बच गयी थी द्वापरयुग में,
इस कलयुग में हैं मुश्किल, जाकर ढूंढो कि भगवान कहाँ हैं
जन्म लेने से पहले ही, बन जाती हैं ओछी सोच का हिस्सा,
इस दुनिया में लाने का, हर दिल में अरमान कहाँ हैं,
कुछ तो गलती हैं अपनी भी, जो चुप बैठे रहते हैं,
बलात्कारियों को हो फाँसी, कुछ ऐसा फरमान कहाँ हैं,
अँग्रेजी पाश्चात्यता के पीछे, दौड़ने वालों ये भी देखो,
रानी लक्ष्मीबाई और पद्मिनी, वाला हिंदुस्तान कहाँ हैं.....
बहुत उत्तम रचना हिमांशु भाई
ReplyDeleteहृदयतल से आभार भैया
Deleteबहुत ही मार्मिक रचना।
ReplyDeleteसादर आभार मामी जी
DeleteThank You
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