छोटी सी थी कद काठी, सदा पहने थे खादी,
'मरो या मारो' को वो पुकारते चले गए
किसानो के साथ साथ, जवानो की जय वाला
नारा सुन दुश्मन भी हारते चले गए
जब बने थे प्रधान, घायल था हिंदुस्तान
भारत माता को वो संवारते चले गए
सीमा पार का जवाब, बंदूको से देते रहे
शत्रुओं का पानी वो उतारते चले गए
-हिमांशु भावसार 'हिन्द'
झाबुआ-इंदौर(म.प्र.)
+91-8827089894
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