09 October, 2015

ग़ज़ल : ग़ज़ल अशफ़ाक़ की भी अब, यहाँ पर तिलमिलाती हैं


Bhagat Azad Bismil Ashfaq

गरीबी तो ज़रा देखो, यहाँ क्या दिन दिखाती हैं
जनम जिसने दिया वो माँ, ही बेटी बेच जाती हैं ।१।

निवाला छोड़ देते है, अमीरों का बडप्पन है,
गरीबी उस निवाले से, कहीं खाना खिलाती हैं ।२।

शरीफों ने बिगाड़ा हैं, यहाँ आबो-हवाओं को,
धरम की राजनीती भी, यहाँ लाशें बिछाती हैं ।३।

शरम करते कहीं होंगे, भगत-आज़ाद-बिस्मिल जी,
ग़ज़ल अशफ़ाक़ की भी अब, यहाँ पर तिलमिलाती हैं ।४।

इसी दिन के लिए ही क्या, वतन पर जान हमनें दी?
शहीदों की चिताओं से, सुनों आवाज़ आती हैं ।५।

भला कैसे छुपाएं टीस उठती 'हिन्द' के दिल में,
कलम जब भी उठाता हूं, नज़र आँसूं बहाती है ।६।


-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

06 October, 2015

गीतिका : सीता सावित्री की भूमि पर, नारियों का सम्मान कहाँ हैं

एक सवाल…


Gang-Rape Banglore Bengluru Delhi Mumbai Metro City


हवस भरी निगाहें चहुंओर, इससे भी बड़ा अपमान कहाँ हैं, 
सीता सावित्री की भूमि पर, नारियों का सम्मान कहाँ हैं, 

द्रौपदी की इज्ज़त तो, फिर भी बच गयी थी द्वापरयुग में, 
इस कलयुग में हैं मुश्किल, जाकर ढूंढो कि भगवान कहाँ हैं 

जन्म लेने से पहले ही, बन जाती हैं ओछी सोच का हिस्सा, 
इस दुनिया में लाने का, हर दिल में अरमान कहाँ हैं, 

कुछ तो गलती हैं अपनी भी, जो चुप बैठे रहते हैं, 
बलात्कारियों को हो फाँसी, कुछ ऐसा फरमान कहाँ हैं, 

अँग्रेजी पाश्चात्यता के पीछे, दौड़ने वालों ये भी देखो, 
रानी लक्ष्मीबाई और पद्मिनी, वाला हिंदुस्तान कहाँ हैं..... 

Himanshu Bhawsar Hind Jhabua Indore-हिमांशु भावसार 'हिंद'
झाबुआ-इंदौर (म.प्र.)
+91-88270-89894

01 October, 2015

छंद : जब बने थे प्रधान, घायल था हिंदुस्तान

Lal Bahadur Shashtri Jayanti

    छोटी सी थी कद काठी, सदा पहने थे खादी,
             'मरो या मारो' को वो पुकारते चले गए

     किसानो के साथ साथ, जवानो की जय वाला
             नारा सुन  दुश्मन भी  हारते चले गए

     जब बने थे प्रधान, घायल था  हिंदुस्तान
             भारत माता को वो संवारते चले गए

     सीमा पार का जवाब, बंदूको  से  देते रहे
             शत्रुओं का पानी वो उतारते चले गए

                          -हिमांशु भावसार 'हिन्द'
                            झाबुआ-इंदौर(म.प्र.)
                            +91-8827089894

Lal Bahadur Shashtri Poem