पतिदेव देखो जब, स्वर्ग को सिधारे तब
सामने बडा ही देखा, दृश्य विकराल था
एक ओर देखा खड़ी , सेना शत्रु पक्ष बडी,
दूजी ओर भारती का, भाल लाल लाल था
बेटा पीठ बाँध कर, प्रण रण धार कर,
तोड़ने को चल पडी, जो बनाया जाल था
अंत में थी जब चली, और चिता में थी जली,
काँप रहा थर थर, जिसे देख काल था
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