20 July, 2017

जात पात मजहब से ऊपर, अपना हिंदुस्तान है

एक तरफ मंदिर की घंटी, दूजी तरफ अजान है
बाईबिल गीता रामायण, गुरूग्रंथ कुरआन है
युगों युगों से इस धरती पर, सबका ही सम्मान है
जात पात मजहब से ऊपर, अपना हिंदुस्तान है

भारत की ये पावन भूमि, जन जन इसका पावन है
हर त्यौहार मनाते मिलकर, हर मौसम मनभावन है
दसों दिशायें कहती सुन लो, भारत माता की जय जय
निर्भिकता रहती है मन में, नहीं किसी से लगता भय
जन गण मन अधिनायक वाला, सुनों राष्ट्र का गान है
जात पात मजहब से ऊपर अपना हिंदुस्तान है

विविध विविध पहनावा अपना, विविध विविध हर भाषा है
लेकिन फिर भी सबके मन में, पलती बस इक आशा है
विश्वगुरू का दर्जा भारत, जल्दी ही पा जायेगा
अमरिका यूरोप चीन भी, एक स्वर में ये गायेगा
भारत भू पर सबको ही तो, अब इतना अभिमान है
जात पात मजहब से ऊपर अपना हिंदुस्तान है


वीरों ने कुर्बानी देकर, इस भूमि का मान रखा
रंग दे बसंती चोला के संग, वंदे मातरम् गान रखा
आजादी की राहों मे तो बिस्मिल संग अशफाक चले
भगतसिंह आजाद चले तो लेकर अपनी धाक चले
मातृभूमि की रक्षा हेतु, हर एक शख्स महान है
जात पात मजहब से ऊपर अपना हिंदुस्तान है

- हिमांशु भावसार 'हिन्द'